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समाज में मौजूद अनेक कुप्रथाएं मिटाने के लिए महिला सशक्तीकरण और शिक्षा अनिवार्य है: श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने एमआईटी-डब्ल्यूपीयू की राष्ट्रीय महिला संसद 2021 में कहा
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जनवरी, 2021: पुणे स्थित एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी (एमआईटी-डब्ल्यूपीयू) में राष्ट्रीय महिला संसद का द्वितीय संस्करण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट की सहभागिता में आयोजित यह चार दिवसीय आभासी सम्मेलन 11 से 14 जनवरी, 2021 के मध्य संचालित किया गया। सम्मेलन की विषय-वस्तु थी: “वूमन इन लीडरशिप 4.0: पॉवर, प्रोग्रेस एंड चेंज।“
एनडब्ल्यूपी 2021 में शीर्ष कारोबारियों, एनजीओ मालिकों एवं संचालकों, राजनेताओं, खेल-जगत की दिग्गज हस्तियों तथा देश भर के गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी सम्माननीय उपस्थिति दर्ज कराई। सम्मेलन 71 से अधिक वक्ताओं, 11 सत्रों तथा 3500 से अधिक प्रतिभागियों के सम्मिलित होने का साक्षी बना।
इस वर्ष की विषय-वस्तु को समाज के सभी वर्गों एवं स्तरों पर महिलाओं की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा देने तथा विभिन्न पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाओं के बीच आपसी संवाद स्थापित करने के लक्ष्य से जोड़ा गया था। महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तीकरण के क्षेत्र में अपने अनुभवों को व्यक्त करने तथा ज्ञान को साझा करने के लिए राजनीति, सामाजिक क्षेत्र, शिक्षा, खेल, कॉर्पोरेट, कला एवं संस्कृति तथा न्यायतंत्र से जुड़ी महिलाएं एक साथ जमा हुईं, जिनमें अनेक युवा और महत्वाकांक्षी लड़कियां भी शामिल थीं।
उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि सुश्री देबाश्री चौधरी (माननीया केंद्रीय महिला और बाल विकास राज्य मंत्री, भारत सरकार), डॉ. मल्लिका साराभाई (पद्म भूषण, प्रतिष्ठित नृत्यांगना, संस्थापक- दर्पण एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स), श्रीमती रेणुका सिंह सरुता (माननीया जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री, भारत सरकार), डॉ. दीया कुमारी (माननीया संसद सदस्य, लोकसभा- बीजेपी, राजसमंद सीट, राजस्थान), आरटी माननीया पैट्रिशिया स्कॉटलैंड क्यूसी (कॉमनवेल्थ की महासचिव), श्रीमती आनंदीबेन पटेल (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की माननीया राज्यपाल और गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री) तथा सुश्री उमा भारती (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष- बीजेपी, पूर्व पेयजल और स्वच्छता मंत्री, भारत सरकार तथा मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री) ने संबोधित किया।
श्रीमती आनंदीबेन पटेल (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की माननीया राज्यपाल और गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री) ने कहा, “राष्ट्रीय महिला संसद 2021 में शामिल होना सम्मान और गौरव की बात है। महिलाएं अपने आप में एक संस्था होती हैं। हमारे राष्ट्र के प्रगति करने की दिशा में महिला सशक्तीकरण एक महत्वपूर्ण कदम है। महिलाएं हमारे कार्यबल का बेहद अहम हिस्सा हैं, जो हमारे राष्ट्र की समृद्धि में बहुत बड़ा योगदान देती हैं। अगर ज्यादा से ज्यादा महिलाएं सुशिक्षित हो जाएं तो हम अपने समाज में व्याप्त दहेज प्रथा जैसी अनेक सामाजिक कुरीतियों को मिटाने में सक्षम हो जाएंगे। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी की राष्ट्रीय महिला संसद का मंच हमारे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के असाधारण योगदान को पहचान रहा है और उन्हें सम्मानित करके मान्यता दे रहा है।”
यह चार दिवसीय आभासी सम्मेलन एक पथप्रवर्तक आयोजन सिद्ध हुआ है और इसमें श्रीमती रेणुका सिंह सरुता (माननीया जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री, भारत सरकार), श्रीमती पंकजा मुंडे-पालवे (बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव, महाराष्ट्र सरकार की पूर्व ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल विकास मंत्री, बीड जिले की पूर्व प्रभारी मंत्री), श्री. कैलाश खेर (पद्म श्री, पार्श्वगायक, संगीतकार), सुश्री उषा उत्थुप (पार्श्वगायिका), श्री सलीम मर्चेंट (संगीत निर्देशक) तथा अन्य गणमान्य दिग्गज हस्तियों ने शिरकत की। एनडब्ल्यूपी को श्रद्धेय प्रोफेसर डॉ. विश्वनाथ कराड से प्रेरणा मिली, प्रख्यात गांधीवादी श्रीमती इला भट्ट के संरक्षण एवं प्रोत्साहन में इसकी संकल्पना की गई तथा प्रख्यात शिक्षाविद् श्री राहुल वी कराड के गतिशील नेतृत्व में इसका संयोजन किया गया है।
आयोजन समिति की मुखिया श्रीमती ऋतु छाबड़िया (सह-संस्थापक एवं प्रबंधन ट्रस्टी, मुकुल माधव फाउंडेशन तथा फिक्की एफएलओ, पुणे की पूर्व अध्यक्ष और फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड की निदेशक) की देखरेख और डॉ. शैलाश्री हरिदास (डीन- कॉमर्स, अर्थशास्त्र और लॉ, एमआईटी-डब्ल्यूपीयू) के मार्गदर्शन में आयोजित किए गए इस सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न पृष्ठभूमि की महिलाओं को लैंगिक-भेदभाव से जुड़े मुद्दों को चित्रित करने तथा उन पर बहस करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराना था।
एमएईईआर की एमआईटी के प्रबंध न्यासी एवं कार्यकारी अध्यक्ष तथा एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष श्री राहुल वी. कराड ने कहा, “हालांकि हम सबसे बड़े लोकतंत्र हैं, लेकिन देश में लोकतंत्र बहाल होने के सात दशक बाद भी भारत में महिलाएं खुद का बहुत कम प्रतिनिधित्व देख पा रही हैं और निर्णय लेने वालों के स्तर से तो वे कोसों दूर हैं।
सार्वभौमिक मूल्य-आधारित शिक्षा में विश्वास करने वाला एक विश्वविद्यालय होने के नाते महिला सशक्तिकरण की दिशा में इस बदलाव का नेतृत्व करना हम अपनी प्रमुख जिम्मेदारी मानते हैं। राष्ट्रीय महिला संसद के माध्यम से हम विभिन्न पृष्ठभूमि की महिलाओं को उनके लैंगिक भेदभाव से जुड़े खास मुद्दे उजागर करने का एक अराजनीतिक मंच प्रदान कर रहे हैं।
इस मंच पर महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तीकरण के क्षेत्र में अपने अनुभवों को व्यक्त करने, ज्ञान को साझा करने तथा शोध एवं अध्ययन करने के लिए राजनीति, सामाजिक क्षेत्र, शिक्षा, खेल, कॉर्पोरेट, कला एवं संस्कृति तथा न्यायतंत्र से जुड़ी महिलाएं एक साथ जमा होती हैं, जिनमें अनेक युवा और महत्वाकांक्षी लड़कियां भी शामिल होती हैं।
यह भारत का मंच है जो महिला सशक्तीकरण की दिशा में हमारे समाज की मानसिकता बदलने में मदद करेगा और युवा छात्राओं को उनकी सामर्थ्य, क्षमता एवं संभावनाओं का अहसास कराएगा।”
अन्य प्रमुख हस्तियों के उद्धरण:
प्रतिष्ठित नृत्यांगना और दर्पण एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स की संस्थापक पद्म भूषण डॉ. मल्लिका साराभाई ने कहा, “एमआईटी-डब्ल्यूपीयू द्वारा आयोजित राष्ट्रीय महिला संसद के माध्यम से हम विभिन्न प्रकार की उपलब्ध संभावनाएं दिखाने के लिए आप तक पहुंच बना रहे हैं। खुद के पूरी तरह खिलने में समाज की सीमाओं को बाधा मत बनने दीजिए। हमारी स्पर्द्धा सिर्फ अपने आपसे है। स्वतंत्र निर्णय ले सकने वाली नेतृत्वकारी महिलाएं समय की जरूरत हैं। क्या हम ऐसा निडर और सुरक्षित प्राणी बनने के लिए तैयार हैं, जो अपने प्रकाश को चारों ओर बिखेरने की चाह रखता हो?”
बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुकीं श्रीमती पंकजा मुंडे ने कहा, “एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित दूसरी राष्ट्रीय महिला संसद में आज मैं उन सभी महिलाओं की आवाज बनना चाहूंगी, जिन्होंने हमारे पितृसत्तात्मक समाज में अपनी आवाज खो दी है। आज हमारी संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व केवल 12% है और हमारे राष्ट्रीय नेताओं में से केवल 8% महिलाएं हैं। यह एक बड़ी लड़ाई है जिसे ताकतवर महिला नेताओं को आगे ले जाने और जीतने की जरूरत है।
हमारे देश में बहुत सारी महिलाओं को राजनीति में प्रवेश करने की जरूरत पड़ेगी, ताकि वे महिला केंद्रित हितों और अभियानों का नेतृत्व कर सकें। चूंकि हमारा प्रतिनिधित्व बेहद दयनीय है, खासकर राजनीति में, तो ऐसे में आरक्षण मिलना हमारा हक बन जाता है। मैं एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित की गई इस दूसरी राष्ट्रीय महिला संसद को बधाई देना चाहती हूं कि उसने महिलाओं की जरूरतों और मुद्दों पर प्रकाश डालने वाले एक राष्ट्रीय मंच का निर्माण करके महिला सशक्तीकरण की दिशा में होने वाले परिवर्तन की गति तेज कर दी है।”
प्रसिद्ध भारतीय गायक और संगीतकार पद्म श्री कैलाश खेर ने कहा, “मातृशक्ति या नारी शक्ति दयालुता और प्रेम जैसे गुणों की प्रतीक है। महिलाएं आज इस बात का एक दैदीप्यमान उदाहरण हैं कि दिल और दिमाग, दोनों की कार्यप्रणाली का उपयोग करके कारोबार कैसे चलाया जाता है। हमारे समाज में महिला सशक्तीकरण का अत्यावश्यक संदेश फैलाने के लिए इस अवसर पर मैं एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी को हार्दिक बधाई देना चाहूंगा।“
सुश्री उमा भारती (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष- बीजेपी, पूर्व पेयजल और स्वच्छता मंत्री, भारत सरकार तथा मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री) ने कहा, “एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित द्वितीय राष्ट्रीय महिला संसद का हिस्सा बन कर मैं बड़े गौरव और सम्मान का अनुभव कर रही हूं। एक समय था जब महिलाओं के प्रति शारीरिक रूप से अपमानजनक व्यवहार को हमारे समाज के कई हिस्सों में पुरुषत्व का प्रतीक माना जाता था।
एससी-एसटी वर्ग से संबंधित हमारे समाज के सबसे कमजोर वर्गों की महिलाओं को अक्सर न केवल अत्यधिक गरीबी का सामना करना पड़ता है, बल्कि एक असहिष्णु और भेदभावपूर्ण समाज होने के चलते अपमान के सबसे बुरे रूप भी झेलने पड़ते हैं। कोढ़ में खाज यह है कि हमारे समाज का शिक्षित वर्ग अक्सर वर्गवाद और यथास्थितिवाद का मशाल वाहक होता है। यहां तक कि महिला राजनेताओं को भी अपने प्रतिनिधित्व को लेकर कुछ खास और अनुचित पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ता है, जो पुरुष राजनेताओं को बिल्कुल नहीं झेलना पड़ता।
हमारे समाज के भीतर मौजूद इन चरम विरोधाभासों के कारण ही महिलाओं को सशक्त बनाने का यह संदेश और कदम इतना महत्वपूर्ण हो गया है। आज यह तथ्य सिद्ध हो चुका है कि महिलाएं अपने व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन के बीच बेहद कारगर संतुलन बनाते हुए नेतृत्वकारी पदों पर महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं।”
पार्श्वगायिका सुश्री उषा उथुप ने राय जाहिर की है, “लोग ऐसा क्यों सोचते हैं कि हमारे देश में गायकों और संगीतकारों के लिए बॉलीवुड ही एकमात्र मानदंड है? मेरे करियर के शुरुआती दिनों में लोगों की सोच यह थी कि नाइट क्लबों में गाना अच्छी बात नहीं है। लेकिन मैंने अपने करियर की शुरुआत एक नाइट क्लब में अंग्रेजी गाने गाकर की; वह भी पारंपरिक भारतीय साड़ियां और संपूर्ण भारतीय परिधान पहन कर मैं वहां गाया करती थी।
मैंने एक खास मान्यता को भंग कर दिया था और मैं ऐसा इसलिए कर पाई कि मैं खुद पर भरोसा करती थी। अन्य गायकों की नकल करने के बजाए मैं अपने ही ढंग से गाती थी। तो आज मैं एमआईटी-डब्ल्यूपीयू द्वारा आयोजित द्वितीय राष्ट्रीय महिला संसद के मंच से महिलाओं को यह संदेश देना चाहती हूं कि खुद पर विश्वास कीजिए और अपनी सीमाओं को अपनी शक्ति बनाइए।”
बॉलीवुड के प्रख्यात संगीत निर्देशक श्री सलीम मर्चेंट का कहना है- “मैंने जब भी महिलाओं के साथ काम किया है, उन्हें हर काम में बहुत व्यवस्थित, मेहनती, समर्पित और जोशीला पाया है। हमारे समाज में किसी भी महिला को खुद को साबित करने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। समय आ गया है कि पुरुष खुद को बदलें और महिलाओं को स्थान, नेतृत्व, सत्ता और ताकत दें। मैं एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित दूसरी राष्ट्रीय महिला संसद का हिस्सा बन कर बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूं, जो महिला सशक्तिकरण को लेकर इस अत्यंत महत्वपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।”
आदित्य बिड़ला फाउंडेशन एवं आदित्य बिड़ला मैनेजमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड की अध्यक्ष पद्म भूषण श्रीमती राजश्री बिड़ला ने कहा, “मुझे द्वितीय राष्ट्रीय महिला संसद की मेजबानी करने के लिए एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी को बधाई देने दीजिए। मैं इसे नारी शक्ति के किसी उत्सव के रूप में ऊंची निगाह से देखती हूं। मुझे यह एक ऐसा मंच दिखाई देता है, जो महान नेताओं के तौर पर महिलाओं की सामर्थ्य को पहचानता व मान्यता देता है, उन्हें सांसदों के रूप में केंद्रस्थ करता है। यह लिंग संबंधी मामलों को लेकर सामाजिक चेतना जगाने का एक बेहतरीन मंच है।”